लेखनी प्रतियोगिता -08-Mar-2022 न देरी करो
कृष्ण ने देरी करो
करो कृष्ण ना देरी धरा पर तुम आ जाओ,
मुकुट धरो माल गिरधारी आओ कृष्ण मुरारी।
तेरे दर पर आई दुखियारी सुन लो विपद हमारी,
यही आरजू है हमारी करो कृपा गिरवर धारी।
लिया अवतार बासुदेव के घर, पले तुम जाकर नंदन द्वार,
घबरा गया कंस यह सुनकर आओ कृष्ण ना देरी करो।
हुए तुम ब्रज में कन्हाई लुटाया दूध और माखन मलाई,
मुकुट ले हाथ कांधे कमलिया,
बने बन बन के तुम गऊ चरैया।
आओ कृष्णा देरी करो धरा पर आ जाओ गोपाल
किया जब खूब इंद्र वज्र ऊपर हुआ
बरसा से ब्रजपर मूसल मूसर।
तुम्ही ने जब देखा हाल
बचाया ब्रज को
गिरधर निगाहो मे बस जाओ
कृष्ण ने देरी करो,
धरा पर आ जाओ ना देरी करो।
बजाकर बांसुरी ब्रज को रिझाया,
नाचे तुम और सबको नचाया।
हर एक के घर में जा माखन लुटाया,
जो खाया खाया बाकी लुटाया।
तुम्हारे यश को तुलसी ने गाया,
भक्त सूर मीरा ने तुम को रिझाया।
किसी ने भेद तेरा ना पाया,
सभी के ध्यान में तू है समाया।
आओ कृष्णा ना देरी करो,
हुए तुम गोपियों के प्राण आधार।
हुआ करती थी गोपियां भी बलाहार,
मुझे क्यों कर रहे हो नजरों से बेजार,
आओ कृष्ण ना देरी करो।
लडे गज ग्रह जब जल अंदर,
बाहर सूंड जल से जो भर।
पुकारा तुम्हें जो सुध लेकर,
और कृष्णा न देरी करो
विपदा में फंसी इस धरा को बचाओ,
गिरधर ना देरी करो अब तो मोहन आओ।
पुकारे तुम्हें यह सब नर नारी,
ना देर करो तुम आओ मुरारी।।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
8.3.2022
प्रतियोगिता के लिए
Shrishti pandey
09-Mar-2022 02:01 PM
Nice
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Punam verma
09-Mar-2022 11:17 AM
Nice one
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Abhinav ji
09-Mar-2022 09:06 AM
Nice
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